अनूपशहर में श्रद्धालुओं ने कहा:कार्तिक मेले में जानवरों पर दिखी जातिवाद की छाप,जब इंसान बंट सकते हैं,तो जानवर क्यों नहीं...TV Newsकल तक

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Repoter Kadeem Rajput TV Newsकल तक

November 05, 2025

अनूपशहर में श्रद्धालुओं ने कहा:कार्तिक मेले में जानवरों पर दिखी जातिवाद की छाप,जब इंसान बंट सकते हैं,तो जानवर क्यों नहीं...TV Newsकल तक

अनूपशहर में गंगा पुल के नीचे रेती पर कार्तिक स्नान मेला लगा हुआ है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। यह स्थान श्रद्धा और आस्था का अनूठा संगम बन गया है, जहां कार्तिक पूर्णिमा से एक सप्ताह पहले ही श्रद्धालु अपने तंबू रूपी अस्थाई आशियाने बसा लेते हैं। बुलंदशहर और अलीगढ़ आदि जिलों से आने वाले श्रद्धालु बैलगाड़ी और ट्रैक्टर-ट्रॉली की सहायता से अनूपशहर के इस कार्तिक मेले में पहुंचते हैं। इस बार मेले में जानवर भी जातिवाद के रंग में रंगे हुए नजर आ रहे हैं, जो श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। जो श्रद्धालु बैलगाड़ी से पहुंचे हैं, उनके कटरा (बछड़े) और बैलों को रंग-बिरंगे परिधानों से सजाया गया है। इस बार इन जानवरों के परिधानों पर श्रद्धालुओं की जाति लिखी हुई है, जो आकर्षण के साथ-साथ जिज्ञासा का केंद्र भी बनी हुई है। इस संबंध में जब श्रद्धालुओं से बात की गई तो शिकारपुर से आए अंकित नामक श्रद्धालु ने बताया कि पहले लोग अपने जानवरों को टाट या बोरी ओढ़ाकर लाते थे। जब उनसे जानवरों के परिधानों पर जाति लिखे होने का सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि जब इंसान ब्राह्मण, बनिया, जाट और गुर्जर जैसी जातियों में बंटा हुआ है, तो जानवर जिस जाति के व्यक्ति के यहां रह रहा है, वह भी उसी जाति में बंटा हुआ है। लेकिन समय बदलने और आधुनिकता आने के साथ जैसे इंसानों के कपड़ों में परिवर्तन हुआ है, वैसे ही जानवरों के कपड़ों में भी बदलाव स्वाभाविक है, क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि जानवरों पर भी जातिवाद लागू होता है।

Published on November 05, 2025 by Repoter Kadeem Rajput TV Newsकल तक
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