धूमधाम से हुआ श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह:कुंदनपुर में श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह की अनूठी कहानी,देवी-देवताओं ने की पुष्पवर्षा...TV Newsकल तक

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Reporter Kadeem Rajput TV Newsकल तक

August 16, 2025

धूमधाम से हुआ श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह:कुंदनपुर में श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह की अनूठी कहानी,देवी-देवताओं ने की पुष्पवर्षा...TV Newsकल तक

आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर हम आपको श्रीकृष्ण-रुक्मिणी के विवाह की पूरी कहानी बताएंगे। हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार देवी-देवताओं की मौजूदगी में श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह सम्पन्न हुआ। यहां के गांवों के नाम भी श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह की रस्मों पर आधारित हैं। इस क्षेत्र में रहने वाले लोग अपने आप को भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी के मायके वाले मानते हैं। देश की राजधानी दिल्ली से 125 किलोमीटर व जनपद बुलंदशहर से 45 किलोमीटर दूर स्थित एक ऐसा क्षेत्र जहाँ आज भी भगवान श्रीकृष्ण का इंतजार है। यहाँ पग पग पर भगवान श्रीकृष्ण के निशान मिलते है।भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मणी के विवाह का साक्षी अवंतिका देवी मंदिर, रुक्मणी कुंड, खिन्नी, इंद्र, जौ, कदम्ब के विशाल वृक्ष व रस्मों के आधार पर रखे गये नाम वाले दर्जनों गांव यहां आज भी मौजूद है।

भगवान की लीला याद करते हैं ग्रामीण...

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आते ही भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की याद आने लगती है। इन्हीं लीलाओं की कड़ी में गंगा किनारे बसा ऐतिहासिक अहार क्षेत्र भी जुड़ा हुआ है।यह क्षेत्र वो है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण की सबसे महत्वपूर्ण लीला हुई है, जो उनके विवाह से संबंधित हैं। राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणी माँ अवंतिका देवी की परम भक्त थी, जो प्रतिदिन सुंरग के रास्ते अवंतिका देवी मंदिर पर जाती थी। आज का अहार पुराने समय में राजा भीष्मक की राजधानी कुंदनपुर हुआ करता था। माँ अवंतिका की पूजा अर्चना करती थी। मंदिर के पीछे स्थित कुंड में वह स्नान करती थी, जो आज भी रुक्मणी कुंड के नाम से जाना जाता है।

धूमधाम से हुआ श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह...

माँ अवंतिका देवी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण - रुक्मिणी जी का विवाह हुआ था।मान्यता है कि इस मंदिर में अवंतिका देवी, जिन्हें अंबिका देवी भी कहते हैं, वह साक्षात प्रकट हुई थीं। मंदिर में दो मूर्तियां हैं, जिनमें बाईं तरफ मां भगवती जगदंबा और दूसरी ओर दायीं तरफ सतीजी की मूर्ति हैं। जन्माष्टमी पर यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान कर माँ अवंतिका की पूजा करने के लिए आते है। यह दोनों मूर्तियां ही माँ अवंतिका देवी के नाम से जानी जाती है।

आज भी मौजूद है महल के साक्ष्य...

कस्बा अहार जो पुराने समय में कुन्दनपुर हुआ करता था, इसमें आज भी कई पुराने खेड़े स्थित है। गंगा किनारे एक बड़े महल होने के साक्ष्य भी मौजूद है। भारतीय पुरारत्व विभाग की टीम द्वारा किये गए सर्वे में भी अहार में एक बड़ा महल होने का दावा किया गया है। नमहल की बड़ी बड़ी दीवारें आज भी देखी जाती है।

भगवान के विवाह के साक्षी हैं यहां के मंदिर...

भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी के विवाह का साक्षी अवंतिका देवी मंदिर के अलावा कस्बा अहार में स्थित प्राचीन त्रिलोकीनाथ मंदिर व लक्ष्मीनारायण मंदिर भी साक्षी रहे है। शिवलिंग की बनाबट ऐसी है कि किसी भी मंदिर में इस तरह के शिवलिंग स्थापित नही है। त्रिलोकीनाथ मंदिर में स्थापित तीनों शिवलिंग अति प्राचीन है।

बारातियों पर बिखेरे गये खिन्नी कदम...

गंगा किनारे खिन्नी मेवा, कदम व इंद्र जौ के प्राचीन वृक्ष आज भी हरे भरे खड़े हुए है। इन वृक्षों से जुड़ी किवदंती है कि भगवान श्री कृष्ण व रुक्मणि के विवाह के पश्चात विदाई के समय बारातियों पर इनकी मेवाओ व फूलों की बरसात की गयी थी। इनकी आयु का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है। 80 वर्षीय बुजुर्ग कंछिद सिंह का कहना है कि हमने जन्म से अब तक इन पेड़ों को ऐसे ही भरा देखा है,

विवाह की रस्मों पर आधारित गावों के नाम...

विवाह की रस्मों के आधार पर पड़े गांव में मौहरसा भी शामिल है, इस गांव में ताल किनारे कदम्ब के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान श्रीकृष्ण को मोर पेंच का मोहर बांधा गया था। मोहर बांधने का साक्षी विशाल कदम्ब का वृक्ष आज भी हरा भरा ताल किनारे मौजूद है। गांव के बुजुर्ग सुरेश चंद शर्मा बताते है कि इस कदम्ब वृक्ष की आयु का अंदाजा लगाना मुश्किल है , यह कदम्ब का वृक्ष काफी प्राचीन है। महंत विक्रम गिरी ने बताया कि अहार क्षेत्र भगवान श्रीकृष्ण की कर्मस्थली रहा है। विवाह के समय जिस स्थान पर ब्रह्नमभोज हुआ उसे बामनपुर के नाम से जाना जाता है। यहाँ दर्जनों गांव के नाम भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मणी के विवाह की रस्मों के आधार पर पड़े हुए है। मौहरसा, दरावर,सिरोरा,अहार आदि गांव में भी जन्माष्टमी पर भव्य आयोजक किये जाते है। दिन में भगवान श्रीकृष्ण का उपवास रखा जाता है और दोपहर बाद श्रद्धालु डीजे की धुनों पर नाचते गाते अवंतिका देवी गंगा घाट पर स्नान करने के लिए श्रद्धालु पहुँचते है।

Published on August 16, 2025 by Reporter Kadeem Rajput TV Newsकल तक
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