अमेरिका ने मिडिल ईस्ट खाली करना शुरू किया,डोनाल्ड ट्रंप की वार्निंग-ईरान परमाणु बम नहीं बना सकता..TV Newsकल तक
Reporter Kadeem Rajput TV Newsकल तक
June 12, 2025

जब राष्ट्रपति ट्रंप से पूछा गया कि पूरे क्षेत्र का राजनीतिक और सैन्य तापमान कम करने के लिए कुछ किया जा सकता है या नहीं. इसके जवाब में ट्रंप ने साफ-साफ कहा कि, 'ईरान परमाणु बम नहीं बना सकता है, ये बहुत ही स्पष्ट है, उनके पास परमाणु बम नहीं हो सकता है.
ट्रंप ने कहा है कि मध्य पूर्व से अमेरिका अपने स्टाफ को बाहर निकाल रहा है. आने वाले समय में ये एक खतरनाक जगह हो सकता है. ट्रंप ने कहा कि हम देखेंगे कि यहां क्या हो सकता है.समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बुधवार को पहले खबर दी थी कि अमेरिका अपने इराकी दूतावास को आंशिक रूप से खाली करने की तैयारी कर रहा है
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ साफ कह दिया है कि ईरान परमाणु बम नहीं बना सकता है, अमेरिका ईरान को परमाणु बम नहीं बनाने देगा. ट्रंप ने एक ऐसा संकेत दिया है जो बताता है कि मिडिल ईस्ट एक बार से जंग की चपेट में जा सकता है.
लोगों ने से कहा है कि वे इन इलाकों की यात्रा न करें. अमेरिका ने कहा है कि इस समय इराक की यात्रा करना अत्यधिक और जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाला जोखिम हो सकता है.
क्षेत्र में बढ़े सुरक्षा जोखिमों के कारण सेना से जुड़े परिवारों को मिडिल ईस्ट छोड़ने कह रहा है. अब अमेरिकी विदेश विभाग ने आतंकवाद, किडनैपिंग, हथियारबंद लड़ाई और आंतरिक अशांति का हवाला देते हुए इस क्षेत्र में आने के खिलाफ लेवल-4 कैटेगरी की चेतावनी जारी की है
चार अमेरिकी और दो इराकी सूत्रों ने यह नहीं बताया कि किस सुरक्षा जोखिम के कारण यह निर्णय लिया गया.
मध्य पूर्व से अमेरिका के बाहर आने की खबरों ने मार्केट में शंका देखी गई. वहीं तेल की कीमतों में 4 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो गई.
एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि विदेश विभाग ने बहरीन और कुवैत से वैसे लोगों को एरिया छोड़ देने को कहा है. ये स्वैच्छिक फैसला होगा. विदेश विभाग ने बुधवार शाम को अपने विश्वव्यापी ट्रेवल एडवाइजरी को अपडेट करते हुए कहा,इस क्षेत्र को छोड़ना चाहते हैं
"11 जून को विदेश विभाग ने बढ़ते क्षेत्रीय तनाव के कारण गैर-आपातकालीन अमेरिकी सरकारी स्टाफ को यहां से प्रस्थान करने का आदेश दिया है. जब ट्रंप ईरान के साथ परमाणु समझौते को अंतिम रूप नहीं दे पा रहे हैं. ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु डील लगातार अटक रहा है.
इस बीच अमेरिकी खुफिया संकेत देते हैं कि इजरायल ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमले की तैयारी कर रहा है. बता दें कि अमेरिका द्वारा मध्यपूर्व से अपने स्टाफ को निकालने का फैसला उन नाजुक क्षणों में आया है
इस मुद्दे पर पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि मिडिल ईस्ट से अमेरिकी कर्मियों को निकाला जा रहा है क्योंकि ये खतरनाक जगह हो सकता है और हम देखते हैं कि आगे क्या होता है. हमने उन्हें बाहर जाने का नोटिस दिया है.
जब राष्ट्रपति ट्रंप से पूछा गया कि पूरे क्षेत्र का राजनीतिक और सैन्य तापमान कम करने के लिए कुछ किया जा सकता है या नहीं. इसके जवाब में ट्रंप ने साफ साफ कहा कि, 'ईरान परमाणु बम नहीं बना सकता है, ये बहुत ही सिंपल सी बात है, उनके पास परमाणु बम नहीं हो सकता है.'
तुम दखल देने वाले कौन होते हो?...
हाल ही में ईरान के सर्वोच्च मजहबी नेता खामेनेई ने कहा था कि आप कौन होते हैं तेहरान को यह बताने वाले कि हमें परमाणु कार्यक्रम रखना चाहिए या नहीं? अमेरिका का परमाणु प्रस्ताव हमारी शक्ति के सिद्धांत के 100% विरुद्ध है. खामेनेई ने कहा था कि अमेरिका हमारे परमाणु कार्यक्रम को कमज़ोर नहीं कर पाएगा.तेहरान अपने यूरेनियम संवर्धन कार्य को नहीं छोड़ेगा.”
मध्य पूर्व में अमेरिका की सैन्य मौजूदगी...
इससे पहले बुधवार को ब्रिटेन की नौसेना ने चेतावनी दी थी कि मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण सैन्य गतिविधि में वृद्धि हो सकती है, जिसका असर महत्वपूर्ण जलमार्गों में शिपिंग पर पड़ सकता है. इसने जहाजों को खाड़ी, ओमान की खाड़ी और होर्मुज जल डमरूमध्य से यात्रा करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी, जो सभी ईरान की सीमा से लगे हैं.
गौरतलब है कि अपनी जमीन से हजारों किलोमीटर दूर दुनिया के कई कोनों में अमेरिका अपने सैनिकों और जंगी बेड़ों की तैनाती करता है. मध्य पूर्व में इराक, कुवैत, कतर, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात ऐसे देश हैं जहां अमेरिकी सेना मौजूद है. ये सभी तेल उत्पादक देश हैं और दुनिया को गतिशील रखने में ईंधन सप्लाई कर अहम रोल निभाते हैं.
बता दें कि ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता का अगला दौर आने वाले दिनों में होने वाला है, जिसमें उम्मीद है कि ईरान वाशिंगटन के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद एक जवाबी प्रस्ताव सौंपेगा.
परमाणु कार्यक्रम पर टकराव....
बता दें कि 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों के बीच परमाणु समझौते के लिए कुछ अप्रत्यक्ष वार्ताएं (मुख्य रूप से ओमान और रोम में) चल रही हैं, लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं आया है. अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने और यूरेनियम संवर्धन पर पूर्ण रोक की मांग कर रहा है, जबकि ईरान संवर्धन को अपना अधिकार मानता है और प्रतिबंध हटाने की शर्त रखता है. यूरेनियम संवर्धन यानी कि इनरिचमेंट परमाणु हथियार तैयार करने का अहम स्टेज है
यूरेनियम का संवर्धन रोके ईरान, नहीं तो...
बता दें कि ट्रम्प ने बार-बार ईरान पर हमला करने की धमकी दी है. उन्होंने कहा है कि अगर ईरान के साथ अमेरिका के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत फेल हो जाती है तो इस विकल्प पर विचार किया जा सकता है.
बुधवार को जारी एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात पर कम भरोसा हो रहा है कि तेहरान यूरेनियम संवर्धन को रोकने के लिए सहमत होगा जो कि एक प्रमुख अमेरिकी मांग है.
इधर ईरान के रक्षा मंत्री अज़ीज़ नसीरज़ादेह ने भी बुधवार को कहा कि अगर ईरान पर हमला किया गया तो वह क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों पर हमला करके जवाबी कार्रवाई करेगा.
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