जंगल में स्कूटी, या स्कूटी का जंगल? सियासत में फंसकर हुईं कबाड़. छात्राएं रोज लगा रहीं DM ऑफिस के चक्कर...

RKRTNकत

Reporter Kadeem Rajput TV News कल तक

June 02, 2025

जंगल में स्कूटी, या स्कूटी का जंगल? सियासत में फंसकर हुईं कबाड़. छात्राएं रोज लगा रहीं DM ऑफिस के चक्कर...

राजस्थान सरकार की मेधावी बेटियों को स्कूटी देने की योजना राजनीतिक विवादों में उलझकर ठप हो गई है. हजारों स्कूटी कबाड़ में सड़ रही हैं, जिससे छात्राओं को पढ़ाई में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दौसा, बांसवाड़ा और बाड़मेर जिले इस योजना से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

राजस्थान में मेधावी बेटियों को स्कूल-कॉलेज जाने के लिए सरकार ने स्कूटी देने की योजना बनाई थी लेकिन सियासत की भेंट चढ़ी इस योजना की 18 हजार स्कूटियां दो-तीन साल से कबाड़ हो रही हैं. इस बीच भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार की इस योजना में गड़बड़ी बताकर अपनी योजना की स्कूटी बांटने लगे लेकिन उन बच्चियों को क्या दोष जिन्हें गहलोत सरकार में स्कूटी मिलनी थी, पर मिली नही.

दौसा जिले के कलेक्टर दफ़्तर के पास इस खाली जमीन के गेट खोलने पर जो दिखा उसकी तो हमने भी कल्पना नहीं की थी. दो सौ से ज़्यादा नई स्कूटी कबाड़ में तब्दील हो गईं. स्कूटियां सड़ रही हैं. जमीन में धंस गई हैं और पेड़ पौधे उग आए हैं. ये दौसा जिले के 2022-23 में बारहवीं की टॉपर बेटियों को बांटने के लिए कांग्रेस की गहलोत सरकार में खरीदी गई थी. बस 222 बंट पाई तब तक आचार संहिता लग गई, लिहाजा 1274 स्कूटियां दो साल से ज्यादा समय से खुले आसमान में सड़ रही है.

दौसा के सरकारी स्कूल से 2022-23 में 86 परसेंट नंबर लाकर टॉप करने वाली आदिवासी बच्ची कोमल मीणा इस कड़ी धूप में हर सप्ताह अपनी स्कूटी का पता करने आती है. अपनी स्कूटी की इंश्योरेंस जो करवाया था वो भी खत्म हो गया है.

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कालाखोह गांव की कोमल राजपूत को बारहवीं में 88 परसेंट नंबर आया था. कोमल रोजाना 17 किलोमीटर कॉलेज आने के लिए बस और जीप का घंटों इंतजार करती है. मैथ साईंस से ग्रेजुएशन कर रही अगले साल तो कॉलेज तो कॉलेज भी खत्म हो जाएगा, मगर स्कूटी के लिए हर पांच दस दिन में कलेक्टर दफ़्तर का चक्कर लगाता है. कलेक्टर साहब कहते हैं अभी सरकार वाली तो बांट रहे लेकिन पिछली सरकारवाली के लिए सरकार से रोक है, इसलिए पूछा है कि क्या करना और जवाब के इंतजार में है.

जंगल में स्कूटी, या स्कूटी का जंगल?

सबसे बुरी स्थिति तो आदिवासी जिले बांसवाड़ा की है. यहां ये फर्क करना मुश्किल है कि एक हजार स्कूटियां जंगल में स्कूटी रखी है कि स्कूटियो का जंगल है. दो सालों में पेड़ उग आए हैं और स्कूटियां कबाड़ हो चुकी हैं. कुछ स्कूटी गोदाम में रखी है. बच्चियों का कहना है कि सरकार बदली तो इसमें हमारा क्या दोष है. सरकार स्कूटी नहीं देगी तो आंदोलन करेंगे और कोर्ट जाएंगे.

पुर के सरकारी कॉलेज आरडी गर्ल्स कॉलेज की गैलरी में और क्सासरूम में भी स्कूटियां धूल फांक रही हैं. स्कूटी वितरण की नोडल ऑफिसर और कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि जिन छात्राओं के लिए स्कूटी आई थीं, उनके वेरिफिकेशन का काम चल रहा है.

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दरअसल राजस्थान में गहलोत सरकार और वसुंधरा सरकार के दौरान मेधावी छात्राओं की पढ़ाई में मजबूती देने के लिए गरीब छात्राओं के लिए काली बाई स्कूटी योजना और गुर्जर समाज की छात्राओं के लिए देव नारायण स्कूटी योजना और ST के छात्राओं के लिए माडा योजना के तहत स्कूटी बांटी जाती है.

कांग्रेस सरकार ने 33 हजार स्कूटी खरीदी, 15 हजार बांटी गई

2022-23 और 2023-24 के लिए कांग्रेस सरकार ने 33 हजार स्कूटी खरीदी थी. 15 हजार तो बांटी गई मगर उस वक्त के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को स्कूटी बांटनी थी, मगर एक तो स्कूटी देरी से आई और दुसरे गहलोत को वक़्त नहीं मिला और इसबीच आचार संहिता लग गई. अब बीजेपी सरकार का कहना है कि इसके टेंडर में भ्रष्टाचार हुआ था जिसकी जांच हो रही है, जबकि भजनलाल की बीजेपी सरकार अपना 2024-25 की स्कूटी बांटना शुरू कर दी है.

राजस्थान में सबसे ज्यादा स्कूटी बाड़मेर, बांसवाड़ा और दौसा में कबाड़ हो रही है, जिसके लिए बेटियां रोज कलेक्टर दफ़्तर का चक्कर लगा रही हैं और कलेक्टर राज्य सरकार से निर्देश मांगते हैं. जवाब एक ही आता है फिलहाल अभी रोक जारी है. मगर कबतक इसका जवाब कोई नहीं देता.

Published on June 02, 2025 by Reporter Kadeem Rajput TV News कल तक