मैन टू मशीन, मशीन टू मशीन... CDS अनिल चौहान ने बता दिया कैसी होगी अगली लड़ाई, PAK के लिए ये वॉर्निंग!...

RKRTNकत

Reporter Kadeem Rajput TV News कल तक

June 02, 2025

मैन टू मशीन, मशीन टू मशीन... CDS अनिल चौहान ने बता दिया कैसी होगी अगली लड़ाई, PAK के लिए ये वॉर्निंग!...

CDS अनिल चौहान ने भविष्य की लड़ाइयों पर कहा कि "आधुनिक युद्ध में व्यापक बदलाव हो रहे हैं. ये बदलाव टैक्टिस और डोमेन (जमीन-हवा, समुद्र, साइबर और स्पेस) टाइमफ्रेम, रणनीतियों को लेकर हैं. ये बदलाव अब युद्ध के स्थिर प्लेटफॉर्म्स से हटकर लचीली, भ्रामक रणनीतियों (Deceptive strategies) की मांग करते हैं.

'ऑपरेशन सिंदूर' में भारत के अनुभवों को साझा करते हुए देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि ये 'Non-contact' (संपर्क रहित) युद्ध था. इसके साथ ही उन्होंने यह भी संकेत दे दिया कि भविष्य की लड़ाइयां कैसी हो सकती हैं.

सीडीएस सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग में बोल रहे थे. यहां उन्होंने उभरते भू-राजनीतिक गतिशीलता और तेजी से हो रहे तकनीकी बदलावों पर प्रकाश डाला. ये बदलाव युद्ध की प्रकृति को फिर से परिभाषित कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तकनीक की सर्व सुलभता ने नॉन स्टेट एक्टर को मजबूत किया है. जिससे छद्म युद्ध और अस्थिरता को बढ़ावा मिला है.

गौरतलब है कि शांगरी-ला डायलॉग में पाकिस्तान की ओर से पाकिस्तान सशस्त्र बलों के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा शिरकत कर रहे थे.

जनरल चौहान ने पाकिस्तान को संदेश देते हुए कहा कि भारत के विरोधी सबक लेंगे कि यह भारत की सहनशीलता की सीमा है. दो दशकों से इस छद्म युद्ध का सामना कर रहे हैं और हमने बहुत से लोगों को खो दिया है. हम इसे खत्म करना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, "आधुनिक युद्ध में व्यापक बदलाव हो रहे हैं. ये बदलाव टैक्टिस और डोमेन (जमीन-हवा, समुद्र, साइबर और स्पेस) टाइमफ्रेम, रणनीतियों को लेकर हैं. ये बदलाव अब युद्ध के स्थिर प्लेटफॉर्म्स से हटकर लचीली, भ्रामक रणनीतियों (Deceptive strategies) की मांग करते हैं.

सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि आज 'मानव रहित सिस्टम' और 'Do it yourself' के बढ़ते प्रचलन की वजह से जंग की आर्थिक और मानवीय लागत कम हो रही है.

सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि तकनीक वॉरफेयर और वॉरफाइटिंग को बदल रहा है और इसे फिर से प्रभावित कर रहा है. उन्होंने इस समझाते हुए कहा कि भविष्य की लड़ाइयां चार ट्रेंड से प्रभावित होंगी.

1-जंग के हर डोमेन में सेंसर तकनीक का उपयोग.

2- लंबी दूरी के हाइपरसोनिक और सटीक हथियार.

3-ऑटोनॉमस सिस्टम के साथ Manned-Unmanned टीमिंग

4- एआई, एमएल, एलएलएम और क्वांटम तकनीक द्वारा संचालित युद्धक्षेत्र

पाकिस्तान समेत दुनिया के कई ताकतवर देशों के जनरलों के सामने सीडीएस चौहान ने जंग क्षेत्र में तकनीक के असर को समझाते हुए कहा कि आज डिसेप्शन वार फेयर का दौर है. उन्होंने कहा कि जंग के मैदान में ड्रोन का आना एक ऐसी चीज है जिसने युद्ध के परिदृश्य को बदल दिया है. अब हमला कहीं भी, कभी भी सटीक निशाने के साथ किया जा सकता है.

मानव रहित और ऑटोनॉमस सिस्टम इसके साथ ही Manned-Unmanned टीमिंग और रोबोटिक्स में तरक्की की वजह से जल्द ही लड़ाइयां अब मैन और मशीन (सैनिकों और मशीनों) के बीच, एवं मशीन और मशीन के बीच होंगी. धीरे-धीरे जंग का मैदान ऑटोनॉमस होता जा रहा है.

भविष्य की लड़ाइयों की AI द्वारा बनाई गई एक तस्वीर (AI META)

सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि आज कल जंग के मैदान सामने आ रहे हैं. ये डोमेन हैं, सूचना तकनीक, साइबर, इलेक्ट्रो मैग्नेटिक स्पेक्ट्रम और संज्ञानात्मक (cognitive). इन बदलावों की वजह से युद्ध की परंपरागत रेखाएं मिटती जा रही हैं. अब गैर परंपरागत युद्ध का दौर है.

युद्ध के दौरान मिसइन्फॉर्मेशन की चुनौती को संबोधित करते हुए सीडीएस ने खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ऑपरेशनल समय का 15 प्रतिशत हिस्सा फर्जी बयानों का मुकाबला करने में खर्च किया गय. इसका मतलब है कि आजकल एक समर्पित सूचना युद्ध की आवश्यकता है. भारत की रणनीति ने तथ्य-आधारित संचार को प्राथमिकता दी, भले ही इसका मतलब धीमी प्रतिक्रिया हो.

CDS ने अनुकूलनशीलता, नवाचार और आत्मनिर्भरता के माध्यम से क्षमता विकास के दृष्टिकोण को रेखांकित किया. जिसमें भारत ने निजी उद्योग के साथ सहयोगात्मक रक्षा विनिर्माण इकोलॉजी सिस्टम बनाया है.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा बदलाव से वॉर डॉक्ट्राइन, संगठन की स्किल और ह्यूमन कैपिटल में परिवर्तन होंगे. यहां भारत की अनूठी भौगोलिक स्थिति, अनुभव और आकांक्षाएं इसके रक्षा दृष्टिकोण को आकार देंगी.

जनरल अनिल चौहान ने वैश्विक शांति और नवाचार के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि आकाश जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म और आत्मनिर्भर नेटवर्किंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारत का प्रयोग सफल साबित हुआ है. उन्होंने कहा कि एक महत्वपूर्ण उपलब्धि अलग अलग रडार को वायु रक्षा प्रणाली में एकीकृत करना था.

सीडीएस चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने राजनीतिक रूप से जो किया है, उसने आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करने को लेकर एक नई लक्ष्मण रेखा खींच दी है. जनरल चौहान ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह विशेष ऑपरेशन, जो मूल रूप से सैन्य क्षेत्र के अंतर्गत आता है, हमारे विरोधियों के लिए भी सबक है. उम्मीद है कि वे सबक लेंगे कि यह भारत की सहनशीलता की सीमा है.

सिंगापुर में शांगरी-लॉ डायलॉग में आए मेहमान. फोटो-X

उन्होंने कहा कि हम लगभग दो दशकों से इस छद्म युद्ध का सामना कर रहे हैं और हमने बहुत से लोगों को खो दिया है. हम इसे खत्म करना चाहते हैं.

शांगरी-ला डायलॉग में पाकिस्तान सशस्त्र बलों के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि यदि अगली बार फिर से ऐसी स्थिति पैदा हुई तो शहरों को पहले निशाना बनाया जाएगा और बॉर्डर अप्रासंगिक हो जाएंगे. ऐसी स्थिति में पूरा माहौल नियंत्रण से बाहर जा सकता है.

जनरल मिर्जा ने कहा कि तब ऐसी संभावना बन सकती है कि सीमित समय के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप से पहले ही क्षति और विनाश हो चुका हो.

Published on June 02, 2025 by Reporter Kadeem Rajput TV News कल तक